
“बड़ा सपना देखने का हक़ हर बच्चे को है – चाहे वो गांव का हो या शहर का”
जब हम गांव की मिट्टी में खेलते हुए बड़े होते हैं, तो हमारे सपने भी उसी मिट्टी की तरह सादे, सीधे और सीमित होते हैं।
कभी लगता है कि सरकारी नौकरी मिल जाए तो बहुत है।
कभी लगता है कि BA या BSc पास कर लिया तो ज़िंदगी सफल हो गई।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है —
“क्यों गांव के बच्चे डॉक्टर, IAS, साइंटिस्ट या एंटरप्रेन्योर कम बनते हैं?”
क्या वजह है कि शहरों के बच्चे ही ऊँचे सपने देखते हैं और उन्हें पूरा भी कर लेते हैं?
इसका जवाब सिर्फ एक है – “सोच की सीमा”।
गांव का सच – सपने क्यों सीमित हो जाते हैं?
1. संसाधनों की कमी:
- अच्छी किताबें हर गांव में नहीं मिलतीं
- कोचिंग संस्थान दूर होते हैं
- इंटरनेट या स्मार्टफोन हर छात्र के पास नहीं होता
2. पारिवारिक दबाव:
- कम उम्र में घर के कामों की जिम्मेदारी
- पढ़ाई को ‘बोझ’ समझा जाना
- लड़कियों की शिक्षा को कम प्राथमिकता
3. समाज की सोच:
- “तुमसे नहीं होगा”
- “पढ़-लिख कर भी क्या कर लोगे”
- “IAS बनने के लिए बहुत पैसे लगते हैं”
ऐसे माहौल में सपने देखना ही गुनाह बन जाता है।
लेकिन क्या ये सच्चाई आख़िरी है?
बिलकुल नहीं!
भारत में ऐसे हजारों उदाहरण हैं जहाँ गांव के बच्चों ने वो कर दिखाया जो बड़े शहरों के लोग सिर्फ सोचते रह गए।
कुछ प्रेरणादायक उदाहरण:
- डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम – तमिलनाडु के छोटे गांव में जन्म, लेकिन भारत के मिसाइल मैन और राष्ट्रपति बने।
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, बिहार के एक छोटे गांव से निकलकर भारत के पहले राष्ट्रपति बने।
- मनोज शर्मा (IPS) – रिक्शा चलाने वाले के बेटे, किताबें उधार लेकर पढ़ाई की, और आज अफसर हैं।
- अनु कुमारी (UPSC Rank 2) – शादीशुदा, बच्चा भी था, लेकिन एक साल की तैयारी में UPSC क्रैक कर दिया।
इन सबकी एक बात कॉमन थी – “इन्होंने अपने हालातों को नहीं, अपने इरादों को महत्व दिया।”
गांव के बच्चों को क्या समझना चाहिए?
1. सपने अमीर-गरीब देखकर नहीं आते
“सपना वही है जो नींद न आने दे।” – डॉ. कलाम
गरीबी में पले कई लोगों ने देश और दुनिया में नाम कमाया है।
तुम्हारे पास कम संसाधन हैं, लेकिन तुममें मेहनत की ताकत है – और यही सबसे बड़ा हथियार है।
2. किताबें और ज्ञान ही असली साथी हैं
अगर आपको अच्छी किताबें, सिलेबस, मॉडल पेपर, गाइड चाहिए – तो आज Kavya Books जैसी साइट्स हर गांव में डिलीवरी कर रही हैं।
ऑनलाइन पढ़ाई अब हर जगह संभव है।
3. डर मत, लड़
डर सबसे बड़ी दीवार है। उससे लड़ो।
अगर तुम हार मान लोगे तो कोई तुम्हें कभी जीतने नहीं देगा।
बड़ा सपना देखो – क्योंकि वही तुम्हारी असली उड़ान की शुरुआत है।
Kavya Books – गांव के सपनों के साथ
हमारा मकसद सिर्फ किताबें बेचना नहीं है।
हम चाहते हैं कि –
- गांव के हर बच्चे को वो किताबें मिलें जो शहर में मिलती हैं
- किसी को किताब की कमी के कारण सपनों से समझौता न करना पड़े
- छात्र सिर्फ परीक्षा पास करने तक न सोचें, बल्कि UPSC, NEET, JEE, SSC जैसे एग्जाम को Target करें
अब आपकी बारी –
क्या आप भी मानते हैं कि गांव का बच्चा भी बड़ा सपना देख सकता है?
👇 कमेंट में जरूर लिखें –
- आपका सपना क्या है?
- आपने कौन सी किताब से प्रेरणा ली?
- या आपके गांव में किसने आपको कुछ बड़ा करने की प्रेरणा दी?
आपका छोटा सा सुझाव किसी और को बड़ी प्रेरणा दे सकता है!