Description
“स्वतंत्रता के बाद भारतीय राजनीति” नामक यह पुस्तक CBSE के नवीनतम पाठ्यक्रम पर आधारित है, जिसे बिहार, झारखंड सहित विभिन्न प्रादेशिक बोर्डों ने कक्षा 12 के लिए अपनाया है।
यह पुस्तक बाज़ार में उपलब्ध पुस्तकों की कमियों और अंतर्निहित दोषों को दूर करने के उद्देश्य से लिखी गई है ताकि अधिकाधिक छात्र इससे लाभान्वित हो सकें। पुस्तक में वर्णित सभी अध्यायों को सरल भाषा में लिखा गया है ताकि देश के हिंदी माध्यम के छात्र-छात्राओं को समझने में कोई कठिनाई न हो।
इस पुस्तक के सभी अध्यायों में मेरा यह समझाने का प्रयास रहा है कि स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद भारतीय राजनीति की दिशा और दशा क्या रही है। मेरे यह प्रयास रहे हैं कि भारतीय राजनीति जैसा गहन और जटिल विषय कक्षा 12 के छात्रों के हित में अधिक-से-अधिक स्पष्ट और सहज हो। छात्र-छात्राओं की जिज्ञासाओं एवं आवश्यकताओं के अनुसार इस पुस्तक में वर्णित सभी अध्यायों को तैयार किया गया है। स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद भारतीय राजनीति का स्वरूप कैसा था और आज उस स्वरूप में कौन-कौन से बदलाव आए हैं – इसकी गहराई एवं सांगोपांग जानकारी इस पुस्तक में दी गई है। पुस्तक के प्रथम अध्याय में स्वतंत्रता की चुनौतियों का संक्षिप्त विश्लेषण इस उद्देश्य से किया गया है कि देश के स्वतंत्रता के बाद किस तरह विभिन्न चुनौतियों ने राष्ट्रनिर्माण के मार्ग में अवरोध करने का प्रयास किया और हमारे नेताओं ने किस प्रकार अपनी राजनीतिक सूझ-बूझ और दूरदृष्टि का सहारा लेकर उन चुनौतियों का सामना किया। पुस्तक के दूसरे अध्याय में भारत जैसे देश में लोकतंत्र स्थापित करने की चुनौती का वर्णन किया गया है और देश के प्रथम आम चुनावों में कांग्रेस के प्रभुत्व एवं उसकी प्रकृति तथा स्वभाव का सामाजिक और वैचारिकत्मक गवेषण के रूप में विवेचन किया गया है। इसी अध्याय में कांग्रेस के प्रभुत्व के समय विपक्षी दलों के उद्भव का भी विश्लेषण किया गया है।
कोई भी देश बिना विपक्ष के आगे नहीं बढ़ सकता, इसलिए तीसरे अध्याय में नियोजित विकास की राजनीति की जानकारी दी गई है और इससे संबंधित मुख्य विवादों के साथ-साथ भूमि सुधार, खाद्य संकट एवं विदेश नीति आदि के महत्वूपर्ण स्थानों का अंतरराष्ट्रीय राजनीति में स्वतंत्र भारत की भूमिका से संबंध के होने के चलते यही अध्याय में भारतीय विदेश नीति से जुड़ी चर्चाएं भी सम्मिलित की गई हैं। इसी प्रकार, पुस्तक के अन्य अध्यायों में निर्वाचन प्रणाली की चुनौतियां एवं जानकारी से युक्त विषयों, नए सामाजिक आंदोलनों के अध्ययन, क्षेत्रीय पुनर्गठन, सांप्रदायिकता एवं संकट, नए आर्थिक नीतियों की अपार संभावनाओं एवं सीमाएं, भारतीय राजनीति में नए आम लोकतांत्रिक उभार एवं गठबंधन तथा नई राजनीति से जुड़े मुद्दे एवं चुनौतियों की जानकारी छात्र-छात्राओं को देकर पुस्तक को ज्ञानवर्धक बनाने का प्रयास किया गया है।
पुस्तक को सभी अध्यायों का प्रस्तुतीकरण प्रमाणिक होने के लिए किया गया है। नए पाठ्यक्रम के अनुसार परीक्षाओं में पूछे जानेवाले प्रत्येक प्रश्नों को तीन भिन्न वर्गों – वस्तुनिष्ठ, लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय में बाँटकर प्रस्तुत किया गया है।
प्रश्नों को तीन विभिन्न वर्गों में बाँटने का उद्देश्य यह रहा है कि छात्र-छात्राओं की तर्कशक्ति में वृद्धि हो और वे विषय की समग्रता को समझ सकें।
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