Description
यह पुस्तक “समसामयिक विश्व राजनीति” नामक CBSE के नवीनतम पाठ्यक्रम पर आधारित है, जिसे बिहार, झारखंड सहित भारत के विभिन्न प्रदेशीय बोर्डों ने कक्षा 12 के लिए अपनाया है।
इस पुस्तक का नाम “समसामयिक विश्व राजनीति” इसलिए रखा गया है कि यह विश्व के विभिन्न देशों की सरकारों के बीच संबंधों को विश्लेषणात्मक दृष्टि से समझने में सहायक है। सरकारों, सरकारी संस्थाओं एवं नागरिकों के बीच संबंधों का अध्ययन आज भी राजनीति का महत्वपूर्ण क्षेत्र बना हुआ है। वर्तमान समय में विश्व समाज के लिए विभिन्न सरकारों से जुड़ी जानकारियां न केवल उपयोगी बल्कि आवश्यक भी हो गई हैं। सीमाओं की परिभाषा अब बदल चुकी है, अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं अब कठोर न रहकर पारस्परिक संबंधों की धुरी बन रही हैं। इसलिए, अब सीमाओं का अध्ययन सिर्फ़ भौगोलिक दृष्टिकोण से नहीं बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी किया जाता है। इसी कारण “अंतर्राष्ट्रीय राजनीति” का अध्ययन हमारे लिए अनिवार्य माना जाता है। उदाहरण के रूप में, हम दक्षिण एशिया में लोकतंत्र की स्थिति से इसका अवलोकन कर सकते हैं।
इस पुस्तक में मेरा यह प्रयास रहा है कि आधुनिक विश्व राजनीति से प्रारंभिक छात्र/छात्राओं को परिचित कराया जाए। प्रत्येक अध्याय की शुरुआत विषय-वस्तु की स्पष्ट व्याख्या से की गई है। इससे पाठक को विषय को समझने में सहायता मिलेगी। पुस्तक के प्रारंभिक अध्यायों में द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि को समझाया गया है तथा यह बताया गया है कि विश्व राजनीति में 1945 के बाद शीतयुद्ध किस प्रकार केंद्र में रहा। इस अध्याय में शीतयुद्ध की प्रमुख घटनाओं तथा इसके प्रभावों को भी विस्तार से बताया गया है।
दूसरे अध्याय में बताया गया है कि 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद शीतयुद्ध की समाप्ति कैसे हुई और सोवियत संघ के बिखराव के क्या कारण रहे। इसके अलावा, इस अध्याय में द्विध्रुवीयता से एकध्रुवीयता की ओर विश्व व्यवस्था में हुए परिवर्तन को भी स्पष्ट किया गया है।
तीसरे अध्याय में अमेरिका के प्रभाव तथा विश्व अर्थव्यवस्था में आई विविधताओं को रेखांकित किया गया है। इस अध्याय में अमेरिका की विदेश नीति तथा उसकी वैश्विक रणनीति की चर्चा की गई है।
चौथे अध्याय में विश्व में उभर रही सत्ता की वैकल्पिक व्यवस्थाओं का अध्ययन किया गया है।
पाँचवे अध्याय में समकालीन विश्व राजनीति में विकासशील देशों की स्थिति का विश्लेषण किया गया है। इसमें दक्षिण एशियाई देशों—भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, भूटान और मालदीव—की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अवलोकन किया गया है।
छठे अध्याय में संयुक्त राष्ट्र और उसकी संस्थाओं के महत्व को रेखांकित किया गया है।
सातवें अध्याय में समकालीन विश्व में सुरक्षा संबंधी समस्याओं का विश्लेषण किया गया है और बताया गया है कि आज सुरक्षा केवल सैन्य परिप्रेक्ष्य में नहीं बल्कि आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हो गई है।
आठवें अध्याय में पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन का विश्लेषण कर यह बताने का प्रयास किया गया है कि यदि समय रहते पर्यावरण हनन तथा संसाधनों के दोहन एवं उनके संरक्षण के मामले में हम गंभीर नहीं होते हैं तो मानवजाति को अक्षतनीय क्षति झेलने से कोई रोक नहीं सकता।
नौवें अध्याय में वैश्वीकरण की अवधारणा का वर्णन करते हुए यह बताया गया है कि इसके आर्थिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक प्रभाव कौन-से हैं और विशेष रूप से भारत पर इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है।
Reviews
There are no reviews yet.