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+2 Bhugol Bhag 2 Khand 2

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By Suresh Prasad

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Description

+2 भूगोल (‘भाग 2, खंड 2’) आपके हाथ में है। यह CBSE की +2 की कक्षा 12 के लिए भूगोल के पाठ्यक्रम के रूप में प्रस्तुत है जिसे बिहार, झारखंड सहित विभिन्न प्रदेशीय बोर्डों ने अपनाया है। इसमें पाठ्यक्रम ‘भारत—मानवता और अर्थव्यवस्था’ (India: People and Economy) पर विचार विमर्श किया गया है।

विगत कुछ वर्षों में भारत में आर्थिक नीति में एक बड़ा बदलाव हुआ है। तकरीबन सभी उपभोगी वस्तुओं का उत्पादन कम होने के कारण इनका आयात बढ़ता जा रहा है तथा विदेशी मुद्रा का स्तर गिर रहा है। हमारी अर्थव्यवस्था विभिन्न वस्तुओं के प्रमुख निर्यातक के रूप में बनी थी, वह विदेशी मुद्रा भंडार में अतिरेक जमा करने में सक्षम नहीं हो रही है। अतः नीतिगत रूप से नयापन लाना आवश्यक हो गया है। औद्योगिक रूप से विकसित देशों के दृष्टिकोण भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित रही है। वर्तमान में लगभग 80 प्रतिशत श्रम शक्ति कृषि-किसी न किसी रूप से जुड़ी है, किंतु उत्पादन एवं भूमि योग्यता-क्षमता में परिवर्तनशीलता तथा विविधता के कारण यह क्षेत्र संक्रांति की अवस्था में है। इसके अलावा, भारत में सेवा क्षेत्र ने अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी है और इसका विशेष विस्तार हुआ है। यही कारण है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में असमानता और आर्थिक विषमता को अधिकतम रूप से देखा जा सकता है।

आधुनिक तकनीकी क्रांति ने अतिरिक्त लाभ लाने की संभावनाओं को भी बढ़ा दिया है। नई तकनीकी क्रांति ने औद्योगिक विकास द्वारा चुनौतियाँ प्रस्तुत की हैं। विकास और विनाश का गहराई से विवेचन करना आवश्यक है। प्रकृति एवं औद्योगिक विकास से भूमंडलीय ताप (ग्लोबल वार्मिंग), ओजोन क्षरण, भू-मिनमांकन, जल संकट, विभिन्न प्रकार के प्रदूषण जैसी समस्याएँ जुड़ गई हैं। अब तो आर्थिक विकास और पर्यावरण प्रदूषण में सुदृढ़ देशों का उदाहरण दिया जा सकता है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में जब भारत की अर्थव्यवस्था विविधताओं से ही संबंधित है, तब इसकी उचित जानकारी होना आवश्यक है।

शिक्षा की परंपरागत विधि में आंकड़ों को रट जाने की प्रवृत्ति रही है। शिक्षा का उद्देश्य मात्र ज्ञानार्जन और परीक्षा उत्तीर्ण करना नहीं है, बल्कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य एक पथ प्रदर्शक की भूमिका प्रदान करना आवश्यक है और विश्वव्यवस्था को आर्थिक ज्ञान की दिशा में लाना भी जरूरी है। इसी दिशा में यह पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी। 2005 से राष्ट्रीय पाठ्यक्रम में आर्थिक जीवन को सामाजिक जीवन से जोड़ने पर बल दिया गया है। आज के इस बदलते परिवेश में पाठ्यक्रम को और भी सहज, सरल और प्रभावी बनाना आवश्यक हो गया है।

NCERT द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक को अद्यतन रखा गया है। यह पुस्तक आर्थिक अध्ययन को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत करने का प्रयास करती है। इसमें कुछ महत्वपूर्ण अध्याय जोड़े गए हैं ताकि विद्यार्थी पाठ्यक्रम से लाभान्वित हो सकें। इस पुस्तक में ‘भारत की आर्थिक और भौगोलिक विशेषताएँ’ प्रकाशित एवं महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती हैं।

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Weight 450 g

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