भारत में शिक्षा प्रणाली का इतिहास और उसका विकास।

भारत की शिक्षा प्रणाली दुनिया की सबसे पुरानी और समृद्ध प्रणालियों में से एक रही है। यहाँ प्राचीन समय में गुरुकुल परंपरा से लेकर आधुनिक डिजिटल शिक्षा तक कई बदलाव हुए हैं। इस ब्लॉग में हम भारत की शिक्षा प्रणाली के ऐतिहासिक विकास पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

प्राचीन काल की शिक्षा प्रणाली (गुरुकुल प्रणाली)

भारत में शिक्षा की शुरुआत गुरुकुल प्रणाली से हुई थी। इस प्रणाली में विद्यार्थी अपने गुरु के आश्रम में रहकर शिक्षा ग्रहण करते थे। मुख्य विशेषताएँ:

  • शिक्षा गुरुओं द्वारा मौखिक रूप से दी जाती थी।
  • वेद, उपनिषद, संस्कृत साहित्य, गणित, खगोल विज्ञान और युद्ध कौशल की शिक्षा दी जाती थी।
  • छात्रों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शारीरिक श्रम भी कराया जाता था।
  • इस शिक्षा का मुख्य उद्देश्य नैतिकता, धर्म और समाज सेवा था।

कुछ प्रमुख गुरुकुल:

  • तक्षशिला विश्वविद्यालय: यहाँ चिकित्सा, राजनीति और सैन्य शिक्षा दी जाती थी।
  • नालंदा विश्वविद्यालय: बौद्ध धर्म, विज्ञान और कला की उच्च शिक्षा का केंद्र था।
  • विक्रमशिला विश्वविद्यालय: यह भी उच्च शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र था।

मध्यकालीन शिक्षा प्रणाली

मध्यकाल में भारत की शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव हुए। इस्लामी शासन के दौरान मदरसों और मकतबों की स्थापना हुई, जहाँ कुरान, हदीस, गणित और विज्ञान की शिक्षा दी जाने लगी। मुख्य बिंदु:

  • मदरसों और मकतबों की स्थापना, जहाँ इस्लामी ज्ञान और अरबी, फारसी भाषा की शिक्षा दी जाती थी।
  • संस्कृत विद्या के लिए भी गुरुकुल और पाठशालाएँ बनी रहीं।
  • इस काल में तर्कशास्त्र, गणित, चिकित्सा और साहित्य पर भी ध्यान दिया गया।

ब्रिटिश शासन के दौरान शिक्षा प्रणाली

ब्रिटिश शासन के दौरान भारत की पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में बदलाव हुआ और आधुनिक शिक्षा प्रणाली की नींव रखी गई।

  • 1835 में मैकाले की शिक्षा नीति: अंग्रेजी भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाया गया।
  • 1854 का वुड डिस्पैच: इसे “भारत में शिक्षा का मैग्ना कार्टा” कहा जाता है।
    • प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा का विभाजन किया गया।
    • सरकारी स्कूलों और विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई।
  • 1913 का सरकारी शिक्षा अधिनियम: इसमें अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा पर ज़ोर दिया गया।

स्वतंत्र भारत में शिक्षा प्रणाली

स्वतंत्रता के बाद भारत में शिक्षा प्रणाली को और सुदृढ़ किया गया। सरकार ने कई नीतियाँ लागू कीं:

  • 1968 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति: प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य बनाया गया।
  • 1986 की शिक्षा नीति: व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा दिया गया।
  • 2009 का शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून: 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया।
  • नई शिक्षा नीति 2020:
    • 10+2 प्रणाली को बदलकर 5+3+3+4 कर दिया गया।
    • मातृभाषा में पढ़ाई को प्राथमिकता दी गई।
    • व्यावसायिक शिक्षा और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा दिया गया।

डिजिटल और आधुनिक शिक्षा प्रणाली

आज के समय में शिक्षा प्रणाली तेजी से डिजिटल हो रही है। ऑनलाइन लर्निंग, स्मार्ट क्लासरूम और एड-टेक प्लेटफॉर्म्स ने शिक्षा के स्वरूप को पूरी तरह से बदल दिया है।

  • ऑनलाइन एजुकेशन: BYJU’S, Unacademy, Vedantu जैसी कंपनियाँ ऑनलाइन शिक्षा प्रदान कर रही हैं।
  • MOOCs (Massive Open Online Courses): Coursera, Udemy और Swayam जैसी साइटें उच्च शिक्षा को सरल बना रही हैं।
  • AI और VR आधारित शिक्षा: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और वर्चुअल रियलिटी के ज़रिए इंटरएक्टिव लर्निंग को बढ़ावा मिल रहा है।

निष्कर्ष

भारत की शिक्षा प्रणाली ने समय के साथ कई बदलाव देखे हैं। गुरुकुल प्रणाली से शुरू होकर, ब्रिटिश काल की औपचारिक शिक्षा और अब डिजिटल क्रांति तक, हर युग में शिक्षा के नए आयाम जुड़े हैं। नई शिक्षा नीति 2020 से उम्मीद की जाती है कि यह भारत की शिक्षा को और भी अधिक सशक्त बनाएगी।